मासिक धर्म से पहले चिड़चिड़ापन

 

मनीषा 22 वर्ष की बी.एड. की छात्रा है। शहर में एक महिला छात्रावास में रहकर वह पढ़ाई कर रही है। उसके साथ उसकी छोटी बहन प्रमिला भी रहती है और वह कक्षा आठ में पढ़ती है। पिछले कुछ महीनों से प्रमिला ने गौर किया की उसकी दीदी कभी-कभी चिड़चिड़ी रहने लगी है। उसे छोटी-छोटी बात पर गुस्सा आ जाता है और वह थोड़ा चिंता ग्रस्त और गुमशुम भी रहने लगी है। वह ध्यान लगा कर पढ़ नहीं पाती और जल्दी ही थक भी जाती है। पूछने पर वह बताती है कि उसे पेट दर्द हो रहा है और चिढ़कर उसे वहां से चले जाने को कहती है। चार-पाँच दिन बाद वह अपने आप धीरे-धीरे सामान्य हो जाती है। 

प्रमिला ने तंग आकर अपनी बड़ी बहन को पेट दर्द के लिए किसी डाॅक्टर को दिखाने की लिए कहा। स्त्री रोग विशेषज्ञ ने उसकी सारी जांच करने के बाद उसे किसी मनोचिकित्सक के पास भेज दिया। मनोचिकित्सक को मनीषा ने बताया कि माहवारी आने के चार-पाँच दिन पहले उसका मन विचलित होने लगता है और चिड़चिड़ापन रहता है। उसे थकान होने लगती है और माहवारी शुरू होने के बाद सब कुछ सामान्य हो जाता है। पिछले छः महीने से वह अपने इस व्यवहार से स्वयं परेशान है। मनोचिकित्सक ने मनीषा को प्री मेन्सट्रअल डिसफोरिम डिसऑर्डर नामक बीमारी से पीड़ित होना बताया और उसका इलाज शुरू किया। कुछ ही दिनों में वह बिल्कुल सामान्य होकर पुनः अपनी पढ़ाई में लग गई।

साथियों हमारे समाज में ऐसी कई लड़कियां व स्त्रियाँ है जिन्हें कि माहवारी से पहले इस तरह की तकलीफ होती है और इसे एक सामान्य व्यवहार समझते हुए या शर्म के कारण से वे अपनी तकलीफ को छुपाती हैं। अतः इस तरह की समस्याओं में जरूरत है कि समय पर लक्षणों को पहचानकर मनोचिकित्सक से उचित इलाज लेकर अपने जीवन को कष्टमुक्त बनाया जाए। 

सधन्यवाद।

आपका अपना

डाॅ. अनन्त कुमार राठी

एम.डी. (नशामुक्ति एवं मनोरोग)

बीकानेर

+91 75977 41210

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