हिस्टीरिया- एक तनाव जनित रोग



सीमा एक 20 साल की 10वीं पास गाँव की रहने वाली नवविवाहिता है। उसकी शादी को अभी 6 महीने ही हुए हैं किन्तु पिछले 3 महीने से सीमा की तबियत कुछ ठीक नहीं रह रही। 3 महीने पहले एक दिन रसोई में काम करते करते वह अचानक बेहोश हो गई। रसोई में ही उसकी सास और ननद खाना खा रही थी कि अचानक उसे चक्कर आया और वह बेहोश हो कर गिर गयी। घर वालों ने देखा तो उसके दांत चिपक गए थे और पूरा शरीर पहले तो अकड़ गया और फिर ढीला पड़ गया। उसके पति और बाकी घर वालों ने उसके मुंह के पर पानी डाला, प्याज और जुराब सुंघाया तो भी होश नहीं आया। सीमा के घर वालो ने फिर एम्बुलेन्स को बुलाया और उसे नजदीकी अस्पताल लेकर गये। वहाँ उसे प्राथमिक उपचार दिया गया किन्तु होश न आने के कारण उसे बड़े अस्पताल रेफर कर दिया गया। पूरे रास्ते में भी उसे होश नहीं आया। बड़ी अस्पताल में आपातकालीन विभाग में पंहुचने पर मिर्गी का दौरा पड़ने की आशंका समझते हुए उसकी सिर की एम.आर.आई तथा ई.ई.जी. करवाई गई पर जांचो की सभी रिपोर्ट सामान्य थी। आपातकालीन विभाग में उपचार के दौरान थोड़ी देर में उसे होश आ गया। वह बहुत कमजोरी महसूस कर रही थी और ठीक से बोल भी नहीं पा रही थी। अगले दिन उसकी हृदय तथा रक्त की जांच हुई किन्तु आश्चर्यजनक रूप से वह भी सामान्य ही थी। सीमा को कुछ ताकत की दवा देकर भेज दिया गया। डॉक्टर द्वारा कुछ दिन आराम करने की सलाह पर उसके पीहर वाले उसे अपने साथ ले गए। 

वह पीहर लगभग 10 दिन रही और काफी ठीक हो गयी। 10 दिन बाद सीमा का पति उसे ससुराल ले जाने के लिए आ गया। सीमा का मन ससुराल जाने का नहीं था परंतु  समाज में लोग क्या कहेंगे यही विचार करते हुए वह ससुराल चली गयी। ससुराल पंहुचने के अगले ही दिन फिर से उसकी सांस अचानक फूलने लगी और शरीर अकड़ने लगा। वह इस दौरान अजीब सी आवाज में बोलने लगी। उसके ससुराल वालों ने यह सोचा कि उस पर कोई प्रेतात्मा का असर या ऊपरी छाया है। वो उसे गाँव के मंदिर में रहने वाले तांत्रिक के पास ले कर गए। तांत्रिक ने सीमा को देखते ही कह दिया कि उस पर बुरी आत्मा का साया है। तांत्रिक ने साया भगाने के लिए घी, नारियल तथा 10000 रूपयों की मांग की। सीमा के पति ने तांत्रिक के कहे अनुसार सभी हवन की सामग्री ला कर दी और रूपये भी भेंट कर दिए। तांत्रिक ने हवन करके एक ताबीज सीमा के गले में बांध दिया और कहा कि अब उसे वह बुरी आत्मा परेशान नहीं करेगी। घर आने पर 2 दिन तो वह सही रही परंतु तीसरे दिन उसके दांत बार-बार चिपकने लगे। उसके ससुराल वाले उसकी नाक पकड़ कर तथा मुंह बंद करके उसके दांत खोलते परंतु थोड़ी देर में स्थिति फिर से वही हो जाती थी। घर वालों को लगा कि सीमा की प्रेतात्मा गयी नहीं हैं अतः वो उसे किसी बड़े भोपे के पास ले गए। भोपे ने भी पाठ पूजा तथा 21,000/- रूपये मांगे और आश्वासन दिया कि उसका किया कोई नहीं काट सकता। भोपे ने इस बार भूत भगाने के लिए सीमा के कमर तथा पांव में गर्म चिमटा दाग (चिपका) दिया। उसके शरीर पर गर्म चिमटे से घाव हो गए तथा दर्द भी बहुत हो रहा था। ससुराल आने के बाद एक हफ्ते तो वह ठीक रही परंतु परिणाम वही था। सीमा की दांत चिपकने की बीमारी ठीक होने का नाम ही नहीं ले रही थी। 

गांव के सरपंच से सीमा के ससुर ने बात की तो सरपंच ने उन्हें सीमा को मनोरोग चिकित्सक को दिखाने के लिए कहा। एक बार तो सीमा के ससुर को सरपंच साहब की बात ठीक नहीं लगी परंतु बार-बार होती बीमारी और खर्च से परेशान हो कर वो सीमा को मनोरोग चिकित्सक के पास ले गए। मनोरोग चिकित्सक ने उसका पूर्ण शारीरिक एंव मानसिक परीक्षण किया तथा उसे अपने अस्पताल में भर्ती कर लिया। मनोचिकित्सक द्वारा सीमा की बीमारी के साथ-साथ सामाजिक परिवेश की पूरी जानकारी ली गयी। मनोचिकित्सक ने उससे प्रेम से बात की तथा धीरज बंधाते हुए अपनी हर प्रकार की समस्या को बताने को कहा।

मनोचिकित्सक को काउन्सलिंग के दौरान सीमा ने ससुराल में हो रही परेशानी के बारें में बताया। उसने बताया कि ससुराल में आते ही उसकी सास ने सारा काम उसी पर डाल दिया तथा जरा सी गलती होने पर सभी उसे टोकते तथा पीहर वालो को बुरा भला कहते है। सीमा ने बताया कि वह घर का सारा काम ठीक से करना सीख भी रही है किन्तु कभी-कभार कोई छोटी सी कमी रह ही जाती है और वह उस पर बहुत भारी पड जाती है। वह अपने मन की बात भी किसी को नहीं कह पाती। मनोचिकित्सक द्वारा काउन्सलिंग के साथ टेंशन कम करने कि दवा भी दी गई जिससे उसे आराम हुआ। दस दिन बाद उसे पुनः काउन्सलिंग के लिए बुलाया गया। धीरे-धीरे उसकी सोच और व्यवहार में बदलाव आने लगा और वह अपने मन की बात पति से साझा करने लगी। उसके ससुराल वालों ने भी उसका सहयोग करना शुरू कर दिया और वह धीरे-धीरे पूर्ण स्वस्थ हो गयी। 

हमारे समाज मे खास तौर से ग्रामीण परिवेश में सीमा जैसी हजारों महिलाएं है जो किसी ना किसी वजह से तनाव ग्रस्त है तथा अपने मन की बात नही बता पा रही। यही तनाव जब असहनीय हो जाता है तो शारीरिक लक्षणों जैसे कि दांत चिपकना, बेहोश हो जाना, सांस लेने में कठिनाई होना, शरीर अकड़ जाना, आधा या पूरा शरीर काम नहीं करना, सुन्न हो जाना, असामान्य व्यवहार करना इत्यादि के रूप में प्रकट होता है। इस रोग को हिस्टीरिया अथवा कन्वर्जन डिसआर्डर कहते है तथा यह पुरूषों की अपेक्षा महिलाओं में ज्यादा पाया जाता है। हमें जरूरत है कि हम इस तनाव को सही समय पर समझें तथा उसके ईलाज हेतु तांत्रिक, बाबा या भोपों के पास न जाकर समय तथा धन की बरबादी न करते हुए मनोचिकित्सक को अवश्य दिखायें और ईलाज लें।
धन्यवाद।

आपका अपना

डॉ. अनन्त कुमार राठी
सहायक आचार्य,
मानसिक रोग विभाग,
पी. बी. एम. अस्पताल, बीकानेर।

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