मर्ज आधासीसी का






सुनीता 24 वर्षीय इंजीनियरिंग काॅलेज की छात्रा है। वह शुरू से ही पढ़ाई लिखाई में बहुत ही होशियार रही है और उसका सपना मेकेनिकल इंजीनियर बनने का है। किन्तु पिछले कुछ दिनों से वह अपने सर दर्द को लेकर काफी परेशान है। फिलहाल पिछले एक महीने से उसकी इन्टर्नशिप पोस्टिंग में उसे रोजाना 60 किलोमीटर सफर करके किसी फैक्ट्री में जाना पड़ता है। उसकी काॅलेज बस दोपहर 12 बजे सभी विद्यार्थियों को फैक्ट्री के लिए लेकर रवाना होती है लेकिन सुनीता की हालत बस में बैठने के बाद खराब हो जाती है। उसका दांयी तरफ का आधा सिर इस तरह दर्द करता है जैसे कि कोई अन्दर हथौड़े मार रहा है। साथ ही साथ उसका इतना जी घबराता है कि कई बार तो उसे उल्टी भी हो जाती है। 

पहले तो उसने सोचा शायद उसके चश्मे का नम्बर बदल गया होगा, सो वह आँख के डाॅक्टर से अपनी आँखें जाँच करवा आई। उसकी आंखो का नम्बर एकदम सही था और आँख के डाॅक्टर ने उसे दिमाग के किसी डाॅक्टर को दिखाने को कहा। वह कुछ दिनों में अपने सिरदर्द से इतना परेशान हो गई कि उसने इन्टर्नशिप के लिए फैक्ट्री जाना छोड़ ही दिया, क्यूंकि धूप में उसका सिर बहुत जोरो से दर्द करता और कोई भी आवाज फिर उसे बहुत परेशान करती रहती। धीरे धीरे उसने गौर किया कि धूप में बाजार जाने, भूखे पेट रहने अथवा तेज शोर गुल वाले किसी स्थान पर जाने से भी उसे असहनीय सिरदर्द होता है। थक हार कर वह मनोचिकित्सक के पास अपनी समस्या ले कर पंहुची तो पूर्ण जांच के बाद मनोचिकित्सक ने उसे माईग्रेन नाम रोग से ग्रसित होना बताया। 
यह रोग आमतौर पर पुरूषों की अपेक्षा महिलाओं में ज्यादा पाया जाता है जिसमें कि आधा सिर दर्द करना, जी घबराना या उल्टी होना, धूप अथवा आवाज का सहन नहीं होना इत्यादि लक्षण होते हैं। जरूरत है इसे सही समय पर पहचान कर उचित उपचार लेने की।

धन्यवाद
आपका
डाॅ. अनन्त कुमार राठी
सहायक आचार्य,
मानसिक रोग विभाग,
पी. बी. एम. अस्पताल, बीकानेर

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